Azan or Iqamat अजान व इकामत
फर्ज नमाजों से पहले अज़ान देना सुन्नते मुअक्कदा है और शेआरे इस्लाम में दाखिल है।
जो शख्स अजान दे उसे चाहिए कि ऊँची जगह किबला की तरफ मुंह करके खड़ा हो अपने दोनों उंगलियों को कानों के दोनों सूराखों में डाल कर बुलन्द आवाज़ से अज़ान कहे।
अज़ान के बाद जमाअत से पहले इकामत (तकबीर) कही जाती है। इकामत बिल्कुल अज़ान की तरह है सिर्फ चन्द बातों का फर्क है:
(1) इकामत में हय्या अलस्सलाह और हय्या अलल फलाह के बाद कद का-मतिस्सलाह दो बार कहे।
(2) इकामत अजान के मुकाबिले में जरा पस्त आवाज से कहे | Azan or Iqamat
(3) इकामत कहते वक्त कानो के सूराखों में उंगलियां डालने की जरूरत नहीं
Tayammum ka bayan तयम्मुम् का बयान
वुजू और गुस्ल के लिए जब पानी न मिल सके या पानी नुकसान करे तो पाक मिट्टी पर पंजों समेत हथेली मार कर चेहरा और तमाम हाथों पर फेर लेना तयम्मुम कहलाता है।
Tayammum ka tarika तयम्मुम का तरीका
तयम्मुम में नीयत फर्ज है यानी नीयत करे कि नापाकी दूर करने के लिए या नमाज़ पढ़ने के लिए तयम्मुम करता हूँ।
नीयत के बाद दोनों हाथों को पाक मिट्टी पर मारे फिर हाथ झाड़कर तमाम मुँह पर मले और जितना हिस्सा मुँह का वूजू में धोया जाता है। Tayammum ka bayan
उतने हिस्सा पर हाथ पहुँचाये। फिर दुबारा मिट्टी पर हाथ फेर कर हाथों को कोहनियों तक मले और उंगलियों का खिलाल भी करे। वुजू ! और गुस्ल के तयम्मुम में कोई फर्क नहीं है और जितनी पाकी वुजू और गुस्ल से होती है उतनी ही तयम्मुम से भी होती है ।
Gusl Ka Tarika गुस्ल का तरीका
पहले दोनों हाथ गट्टे तक धोए। उसके बाद फिर जहाँ जहाँ नजासत लगी हो धोए फिर इस्तिन्जा की जगह धोए। और पाक करे। और बिस्मिल्लाह पढ़ कर वुजू करे, कुल्ली के साथ गरारा भी करे। लेकिन अगर रोजे से हो तो गरारा न करे सिर्फ कुल्ली करे। नाक में बांसे तक पानी ले जाये।
उसके बाद तमाम बदन पर तीन बार पानी बहाये। और बदन खूब मलें, ताकि कोई जगह पानी पहुंचने से बाकी न रह जाये। खुली हुई जगह पर नंगा न नहाये । मर्द को नाफ़ से घुटने तक और औरत को गले से टखने तक छुपाना फर्ज है। और अगर गुस्ल-खाने वगैरह में हो तो न छुपाने में कोई हर्ज नहीं। Gusl Ka Tarika
औरत के बाल अगर गुंधे हों लेकिन जड़ों तक पानी पहुंच सकता है तो खोलने की जरूरत नहीं वरना खोलना ज़रूरी है। अगर जेवर वगैरह पहने हों तो उसको घुमा फिरा कर वह जगह पानी से तर करें। अगर मर्द के बाल औरत की तरह लम्बे हों और वह चोटी जूड़ा बांधे हों तो बालों को खोलकर जड़ों तक पानी पहुँचाना ज़रूरी है बगैर इसके गुस्ल सही नहीं होगा। (गुलजारे शरीअत)
Gusl ka bayan गुस्ल का ब्यान
गुस्ल कहते हैं नहाने को मगर शरीअत में नहाने का एक खास तरीका है और वह यह है कि पहले इस्तिन्जा करे फिर उसके बाद जो नजासत बदन पर लगी हो उसे धो डाले फिर वुजू करे उसके बाद सारे बदन पर तीन दफा पानी बहाये। Gusl ka bayan
Gusl ke faraiz गुस्लु के फुराइज़
(1) कुल्ली करना (2) नाक में पानी डालना (3) सारे बदन पर पानी बहाना Gusl ke faraiz
Gusl ki sunnatain गुस्ल की सुन्नतें
(1) गुस्ल की नीयत करना (2) दोनों हाथों को गट्टों तक धोना (3) बिस्मिल्लाह पढ़ना (4) शर्मगाह को गुस्ल से पहले धोना उस पर निजासत हो या न हो (5) वुजू करना (6) तीन मर्तबा सर और तमाम बदन पर पानी बहाना (7) किबला की तरफ मुंह करना (8) बदन पर पानी मल लेना ताकि हर जगह पानी अच्छी तरह पहुंच जाये (9) ऐसी जगह नहाना जहां कोई न देखे पानी में कमी या ज्यादती न करना Gusl ki sunnatain
वुजू के मकरूहात
(1) वु.जू के लिए नापाक जगह बैठना या नापाक जगह वुजू का पानी गिराना।
(2) आज़ाए वुजू से लोटे वगैरह में पानी टपकाना।
(3) मस्जिद के अन्दर वुजू करना।
(4) पानी में थूकना, नाक सीकना अगरचे दरिया या होज हो।
(5) किवला की तरफ थूकना या कुल्ली करना।
(6) वे जरूरत दुनिया की बातें करना।
(7) ज्यादा पानी खर्च करना। वुजू के मकरूहात
(8) इतना कम पानी खर्च करना कि सुन्नत अदा न हो।
(9) चेहरा पर जोर से पानी मारना।
(10) एक हाथ से मुह धोना कि वह हिन्दूओं (काफिरों) का तरीका है।
(11) गले का मसह करना। वुजू के मकरूहात
(12) बायें हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी डालना!
(13) दाये हाथ से नाक साफ करना। वुजू के मकरूहात
(14) तीन नये पानियों से तीन बार सर का मसह करना।
(15) धूप के गर्म पानी से वुजू करना कि वह बर्स (सफेद दाग) पैदा करता है।
(16) होठ या आंखें जोर से बन्द कर लेना।(17) किसी सुन्नत को छोड़ देना।वुजू के मकरूहात
वुजू को तोड़ने वाली चीजें
(1) पाखाना, पेशाब, वदी, मज़ी, मनी,कीड़ा, पथरी, जो मर्द या औरत के आगे या पीछे के मकाम से निकलें।
(2) मर्द या औरत के पीछे के मकाम से हवा का निकलना। वुजू को तोड़ने वाली चीजें
(3) खून या पीप या पीले पानी का बदन के किसी भी हिस्से से निकलना और बहना, खाना या पानी या सफ़रा का मुह भर कै आना।
(4) इस तरह सो जाना कि दोनों सुरीन अपनी जगह अच्छी तरह न जमे हो।
(5) चित या पट या करवट पर लेट कर सो जाना। वुजू को तोड़ने वाली चीजें
(6) बेहोशी. जुनून गशी और इतना नशा कि चलने में पांव लड़खड़ायें इससे भी वुजू टूट जाता है।
(7) बालिग शख्स का रुकुअ व सुजूद वाली नमाज़ नें इतनी आवाज से हंसना कि आस पास वाले सुन लें।
(8) दांतों से इस कदर खून निकलना कि इससे थूक का रंग सुर्ख हो गया।
(9) दुखती हुई आंख से पानी बहना क्योंकि वह पानी (आंसू) नापाक है, इस तरह कान, नाफ, पिस्तान वगैरह में दाना या नासूर या कोई मरज हो उसकी वजह से जो पानी बहे इससे भी वूजू जाता रहता है। वुजू को तोड़ने वाली चीजें
मसअला : औरत के आगे के मकान से जो खालिस रतूबत निकलती है इससे वुजू नहीं टूटता अगर यह रतूबत कपड़े में लग जाये तो कपड़ा पाक ह
मसअला : आंख में दाना था और फूट कर आंख के अन्दर ही फैल गया बाहर नहीं निकला या कान के अन्दर दाना फूट गया और उसका पानी सुराख से बाहर नहीं निकला तो इन सूरतों में वुजू बाकी है। मसअला : बलगम की कय से वुजू नहीं टूटता चाहे जितनी भी हो। वुजू को तोड़ने वाली चीजें
मसअला : मुबाशरते फाहिशा यानी मर्द अपने आला को तुन्दी की हालत में औरत या मर्द की शर्मगाह से मिलाये या औरत औरत बाहम मिलायें बशर्ते कि दरमियान में कुछ हाइल न हो इससे वुजू टूट जाता है !
वुजू करने का सही तरीका
नीयत करने और बिस्मिल्लाहिर्रहमानिरृहिम पढ़ने के बाद मिस्वाक को धोकर तीन बार ऊपर-नीचे के दांतों में तीन नये पानी से इस्तेमाल की जाये। फिर दोनों गट्टों समेत हाथों पर मले, और उंगलियों का खिलाल करे। फिर बायें हाथ में लोटा वगैरह लेकर दाहिने हाथ पर उंगलियों की तरफ से शुरू करके गट्टे तक तीन बार पानी बहाया जाये।
फिर बायें हाथ पर उंगलियों की तरफ से शुरू करके गट्टे तक तीन बार पानी बहाए। इसका ख्याल रहे कि उंगलियों की धइयां पानी बहने से न रह जायें। फिर तीन बार कुल्ली करे इस तरह कि मुंह की तमाम जड़ों और दांतों की सब खिड़कियों में पानी पहुंच जाये कि वुजू में इस तरह कुल्ली करना सुन्न्ते मुअक्कदा है और गुस्ल में फर्ज है।
अगर रोज़ादार न हो तो हर कुल्ली गरारा के साथ करे। फिर नाक में अगर रीठ लगी हो तो बायें हाथ से साफ करके सांस की मदद से तीन बार नर्म बांसों तक पानी चढ़ाये ताकि कोई बाल धुलने से बाकी न रहे। वुजू करने का सही तरीका
फिर चेहरा पर अच्छी तरह पानी मलकर इसको तीन बार इस तरह धोए कि एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक,पेशानी के ऊपर कुछ सर के हिस्से से ठोड़ी के नीचे तक हर हिस्सा पर पानी बह जाये ।
अगर दाढ़ी हो तो इस तरह खिलाल करे कि उंगलियों को गर्दन की तरफ से दाखिल करे और सामने निकाले और उसके बाल और खाल पर भी पानी बहाये। फिर दोनों हाथों पर पानी मलकर पहले दाहिने हाथ पर भी सर नाखुन से शुरू करके निस्फ (आधे) बाजू तक तीन मर्तबा पानी बहाये।
फिर सर का मसह इस तरह करे कि दोनों हाथों के अंगूठे और कलिमे की उंगलियां छोड़ कर बाकी तीन-तीन उंगलियों के सिरे मिलाकर पेशानी के बाल, उगने की जगह पर अगर बाल हों वरना इसको खाल पर रखे और सर के ऊपरी हिस्से पर गुद्दी तक इस तरह ले जाये कि हथेलियाँ सर से जुदा रहें। वुजू करने का सही तरीका
फिर वहाँ से हथेलियों से सर के दोनों करवटों का मसह करते हुए पेशानी तक वापस लाए। उसके बाद कलिमे की उंगलियों के पेट से कान के अन्दरूनी हिस्सा का मसह करे।
आर अंगूठे के पेट से कान की बैरूनी सतह का मसह करे। और उन्हीं उंगलियों की पुश्त से सिर्फ गर्दन का मसह करे। फिर पानी से दोनों पाँव मले और इस तरह खिलाल करे कि बायें हाथ की छंगुलिया से दाहिने पाँव की छंगुलिया से शुरू करके अंगूठे पर खत्म करे। वुजू करने का सही तरीका
और बाएं पाँव में अंगूठे से शुरू करके छंगुलिया पर खत्म करे। और दाहिने बायें पाँव पर उंगलियों की तरफ से आधी पिन्डली तक हर बाल और हर हिस्सए खास पर तीन-तीन बार पानी बहाये। (मुकम्मल निजामे शरीअत) वुजू करने का सही तरीका
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